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हैलो दोस्तों, कैसे है आप सब। मैं हूं आकांक्षा कश्यप सिंह और मैं आप सभी का स्वागत करती हूं अपने ब्लॉग STORY OBSESSION पर। आज मैं फिर से आ गई हूं एक नई कहानी एक नई सोच के साथ, जो आपको एक अच्छा इंसान बनने में मदद करेगी।Inspirational stories in English /Hindi – BETA BETI ME FARK KYUN
बेटा बेटी में फर्क
आज की कहानी हर लड़की की है। चाहे वो अपनी मां पापा की कितनी भी लाडली क्यो ना हो एक बात तो सुननी ही होती है। और वो ये की बेटी तुम बेटी हो और तुम्हे तो दूसरे घर जाना हैं। तुम तो इस घर में पेड़ की छाव की तरह हो जो आज यहां तो कल अपने ससुराल रहोगी।
हां कहना आसान है की एक बेटी को करना क्या पड़ता हैं पर ये बात तो सिर्फ वो ही जानती है की एक बेटी होना क्या होता है।
कहने को तो बेटी घर की लक्ष्मी होती है और कई लोग इसे सिर्फ कहते नही बल्कि मानते भी और इसलिए वो हम बेटियों का ख्याल भी रखते है पर..जो लोग बेटी को सिर्फ इसलिए पालते हैं क्योंकी उन्हें दूसरे घर भेजना है वो उनकी तकलीफ नहीं समझते।
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आज भी ये फर्क मिटा नही है और शायद कभी मिटेगा भी नही। क्योंकि एक माइंडसेट तो हमेशा लोगो के दिमाग में रहेगा और वो ये की बेटी तो पराई धन होती है। और जब तक ये बात कहेंगे बेटी और बेटे मे फर्क होता रहेगा।।Inspirational stories in English /Hindi – BETA BETI ME FARK KYUN
मैं आज सिर्फ अपनी नही बल्कि सारी बेटी की कहानी को बताने जा रही हूं अगर आप इसे रिलेट करते है तो comment करके बताना।
मां हमेशा ये फर्क क्यू करती है। जब भी मैं पढ़ने जाती हूं और अपनी पढ़ाई में खोई होती हूं तब तब मां जोर से चिल्ला कर आवाज लगाती है और कहती है बेटी घर में इतना काम पड़ा है वो ज़रा कर दो।
लेकिन ताजुब की बात ये नही है की मैं पढ़ाई कर रही थी और मां आवाज लगा देती है ताजुब की बात तो ये है की जब भैया पढ़ता है ना और बाजार से कोई सामान लाना हो तब मां भैया को बिना डिस्टर्ब किए मुझे कह देती है या तो खुद चली जाती है।
बचपन में इतनी समझ नही थी की इस बात को समझूं पर आज ये बात काटे की तरह चुभती है की आखिर मां बेटे और बेटी में फर्क क्यों करती है, वो इसीलिए की मैं बेटी हूं और कुल का नाम ऊंचा नहीं कर सकती।
Inspirational stories in English /Hindi – BETA BETI ME FARK KYUN
भईया चाहे तो पूरा दिन लगा दे एक काम को करने मे पर यहीं अगर मैं एक घंटे भी देर कर दूं तो मां मुझे डाट देती है।
शायद इसलिए की मै बेटी हूं और कुल का नाम ऊंचा नहीं कर सकती। 1 Inspirational stories in Hindi – BETA BETI ME FARK KYUN
पता है जब मैं मां से कहती हूं की मां मुझे पढ़ना है, अपने सपने को खुलने देना है तो मां कहती है की तुझे जो भी पढ़ना होगा अपने ससुराल में जा कर पढ़ना और तेरा पति ही तुझे पढ़ाएगा। लेकिन जब भईया कहता हैं तब मां मुस्कुरा कर कहती है की तुझे जो पढ़ना है पढ़ मैं हूं तेरी ढाल।।
जब मैं कहती हूं की मां मुझे खाना बनाना पसंद नही है तब वो कह देती हैं की तेरी पसंद ना पसंद से किसी को फर्क नहीं पड़ता तुझे करना वहीं पड़ेगा जो हम कह रहे है। जहा जाएगी हमारी नाक कटवा कर रहेगी ये लड़की।
भईया को कभी नहीं सिखाती की उसे भी तो घर के सारे काम आने चाहिए। हमे पूरी बात सिखाई जाती हैं कि कैसे रहना चाहिए क्या बोलना चाहिए,लेकिन बेटे को कुछ नही, ऐसा लगता हैं जैसे वो सब सिख के आई है।
मैं ऐसा नही कह रही की सारे ऐसे ही होते है पर जयदातार लोगो की सोच ऐसी ही होती है। जिसको हम फिक्स्ड माइंडसेट कहते है।Inspirational stories in English /Hindi – BETA BETI ME FARK KYUN
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जब मैं जींस पहनी हूं तो मां डाट कर कह देती है की ये क्या पहना है ये तो बेटे के कपड़े होते है। तुम्हे अकल नहीं है क्या? और मैं बस इतना ही कह पाती थी की मां मुझे अच्छा लगता हैं पहनने दो ना।
जब बात बेटे और बेटी में फर्क की आती है ना तो मां बाप ये कह देते हैं की अरे कहा किया फर्क जो खाने के लिए बेटे को दिया वो भी बेटी को दिया, अगर बेटे को पढ़ाया तो बेटी को भी तो पढ़ाया, अगर बेटे को आजादी दी तो बेटी को भी तो आजादी दी।
और भी ना जाने क्या क्या। लेकिन गौर करने वाली बात कोई गौर हीं नहीं करता और वो ये की बेटे को अगर कुछ दिया जाए तो लोग, समाज और मां बाप हक समझ कर देते है लेकिन, बेटी को.. उन्हें तो ऐसे दिया जाता हैं जैसे उन पर कोई अहसान कर रहे हो।
पता है जब मैं एक कपड़े के अलावा कोई दूसरी के बारे में सोचूं न तो मां पापा सब कहने लगते हैं कि हमारे पास इतने पैसे नही है लेकिन, अगर भईया एक के जगह चार भी ले ले और वो भी महंगे वाले तो ये कह कर टाल दिया जाता है की ये सब उसी का तो है अगर खर्च कर भी दिया तो क्या हो गया।
चाहे मै कुछ भी कर लूं मां पापा के लिए एक समय के बाद बोझ ही कह लाऊंगी और चाहे एक बेटा कुछ भी न करे पर वो तो दुलारा बेटा ही होगा।
मुझे मेरे ही हक से ऐसे मिलाते है जैसे ये मुझे भीख में दे रहे हो और मैं इनकी बात न मान कर कोई बहुत बड़ी गलती कर रही हूं।
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हम चाहे कितनी भी तकलीफ में हो घर का काम और घर की जिम्मेदारी तो सिर्फ लड़किया या यूं कह लो बिटिया उठाती हैं। बेटे को तो जन्म से ये अधिकार मिला ही हैं की वो घर के कामों में हाथ नहीं बटाएं।
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आखिर क्यों क्योंकि हम बेटी हैं और अपने कुल का नाम ऊंचा नहीं कर सकते। ये फर्क न जाने कब तक रहेगा। और ये जो कुछ औरतें और मम्मियां होती है ना वो हिं करती हैं जयदातर। उन्हें एक बेटा चाहिए होता है।
ये नही कह रही की बेटे नही होने चाहिए या बेटे होने में कोई गलत बात हैं पर सिक्के के दो पहलू होते हैं और एक बीना दूसरा अधूरा है और हमेशा रहेगा।
अगर एक पहलु नही रहेगा तो दूसरा भी जायदा दिन तक नही टिकेगा। इस दुनियां में जितनी महत्व बेटे और पुरुष जाति का है उतना ही बेटी का भी है। एक नही तो दुसरा भी नही रह पाएगा।
बेटियां घर की रौशनी होती है और ये सच कोई झूटला नही सकता। बेटियां कितनी प्यारी होती है और जिनके पास नही होती उन्हें कोई दे तो वो गले लगा लिया करते है।
तो दोस्तो कैसी लगी ये कहानी आप सभी को मुझे comment कर के जरूर बताना।
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