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Durga Puja 2022: दुर्गा पूजा भारत का एक खास और विशेष जगह रखने वाला त्योहार है। इसके नाम से ही लोग प्रफुलित हो उठते है। दुर्गा पूजा को कई जगहों पर नवरात्रि के नाम से भी जानते है। क्योंकि यह नौ देवी जो माता दुर्गा का ही स्वरूप है, उनके लिए मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा में नौ दिन और नौ रात नौ देवी को समर्पित है। हर एक दिन एक माता की पूजा की जाती है। हर मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और साथ ही नौ दिनों तक माता के आगे ज्योति जलाई जाती है जो एक सेकंड के लिए भी नही बुझती। वैसे आप सभी को मेरी तरफ से Happy Durga Puja
दुर्गा पूजा आम तौर पर आसाम, बिहार, दिल्ली, और भी कई जगहों पर मनाया जाता है। पर पश्चिम बंगाल का दुर्गा पूजा का महत्व और वहां की पूजा की बात सबसे निराली और अलग है। इन नौ दिनों तक पूरे देश में चहल पहल होती है।
जगह जगह पर पंडाल लगाए जाते है और सभी पंडालों में माता दुर्गा और मां काली की मूर्ति बैठाई जाती है। इन पांडलो का पट अष्टमी के दिन खोला जाता है और तब सभी लोग मूर्ति की पूजा और उनकी आराधना करने मंदिर और पंडालों में जया करते है। दुर्गा पूजा के कई मान्यताएं है जो हम आगे बताएंगे।
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Durga Puja Kab hai / 2022 Durga Puja Date (how many days left for Durga Puja)
हिंदू धर्म के अनुसार Durga puja kab hai (Durga Puja 2022 Date) ये साल में दो बार आते है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार पहला चैत के महीने में जो मार्च अप्रैल के वक्त आता है और दूसरा आशिन जो सितंबर – अक्टूबर के महीने में आता है।
आशिन दुर्गा पूजा को शरद नवरात्रि भी कहते है। और इस बार 2022 में सितंबर के महीने में है। नवरात्रि को शुरुआत 26 सितंबर 2022 को हो रही है जिसे दुर्गा पूजा का पहला दिन कहा जाता है। और नवमी 4 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा और दसवीं 5 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा।
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Durga Puja की शुरुआत कैसे हुई / दुर्गा पूजा की कहानी
दसवी के दिन रावण के पुतले को श्री राम के द्वारा जलाया जाता है। ऐसी मान्यता है की इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण को मार गिराया था और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। दुर्गा पूजा/नवरात्रि के भी अपने महत्व है।
दुर्गा पूजा की कहानी: हिंदू पुराण के अनुसार कई हजार साल पहले महीसासुर नामक एक असुर (राक्षस) रहता था। उसके शरीर का आधा भाग राक्षस का था और आधा भैंस की तरह। वह श्रृष्टि रचायता, भगवान ब्रह्मा जी का परम भक्त था। उसने कई सालों तक घोर तपस्या की और भगवान महेश (ब्रह्मा) जी को प्रसन्न किया।
एक दिन जब वह अपनी तपस्या में लीन था तभी ब्रह्मा जी उसके सामने प्रकट हो गए और बोले, हे महीसासुर – मैं तुम्हारे तपस्या से अति प्रसन्न हूं। बोलो तुम्हे क्या वरदान चाहिए। इस पर महिषासुर कहता है – हे भगवन, मुझे ऐसा वरदान दीजिए की तीनो लोको में कोई देवता या मानव मेरा वध ना कर सके।
ब्रम्हा जी ने तथास्तु कह कर वहा से चले गए। इस बात से महिषासुर अति प्रसन्न हो गया और उसके मन से मरने का डर खत्म हो गया। महिषासुर एक क्रूर और घमड़ी राक्षस था। उनसे प्यार देवता और मानव जाति पर अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया।
उसने अपनी क्रूरता से देवता के देव लोक को भी हथिया लिया। इस बात से सभी देवता गन परेशान हो गए और परेशानी में वो इसका उपाय ढूढने भगवान विष्णु, शिव और ब्रम्हा जी के पास गए। तीनो इस बात की गंभीरता को देखते हुए अपनी अपनी ऊर्जा से एक देवी का निर्माण किया।
यह देवी को ही हम आदिशक्ति के नाम से जानते है। जिसे पार्वती/दुर्गा भी कहते है। आदिशक्ति को सभी देवता ने अपनी अपनी अस्त्र शस्त्र प्रदान किए जैसे की, शंख चट, गदा, त्रिशूल, धनुष बाण इत्यादि से सुसज्जित किया। और यह सभी शस्त्र माता दुर्गा के शस्त्र कहलाएं।
माता दुर्गा ने शस्त्र लेकर महिषासुर के पास जाने लगी। महिषासुर को जब इस बात का पता चला तो वो मां दुर्गा से मिलने को ललाइत हो गया। और वो खुद ही मां दुर्गा के सामने जा पहुंचा और उसने माता से विवाह का प्रस्ताव रखा। तब आदिशक्ति ने कहा की महिषासुर तुम मुझसे युद्ध करो, अगर तुम जीत जाते हो तो मैं तुमसे विवाह कर लूंगी।
महिषासुर ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और युद्ध करने को सज्य हो गया। मां दुर्गा से महिषासुर की लड़ाई नौ दिन और नौ रात तक चली। अंत में उन्होंने नवमे दिन महिषासुर का वध कर दिया। सभी देवता बहुत खुश हुए और उनकी पूजा करने लगे।
उसी दिन से उनकी पूजा होनी शुरू हो गई। ऐसा माना जाता है की महिषासुर से लड़ाई के नौ दिन मां दुर्गा ने अपने नौ रूपों का इस्तेमाल किया था। और इसीलिए नवरात्रि भी हम उसे कहते है।
कोलकाता की विशेष दुर्गा पूजा/Kolkata Durga Puja
Durga Puja pandal को सजाना और उसमे दुर्गा मां की प्रतिमा को सुसज्जित कर पूजा अर्चना करना एक अलग की अनुभव देता है। Kolkata Durga Puja की बात ही अलग है। Durga Puja pandal की भी अपनी विशेषता हैं।
पंडाल में दुर्गा मां अपने हाथो में त्रिशूल लिए महिषासुर जो पैरो में पड़ा होता है उसका वध करते उनकी प्रतिमा को बनाया जाता है। पीछे में उनके वाहन शेर की प्रतिमा भी होती है। इनके साथ साथ और भी देवी देवता की प्रतिमा को बनाया जाता है।
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कोलकाता की अष्टमी का महत्त्व:
कोलकाता में अष्टमी के दिन अष्टमी पुष्पांजली का त्योहार मनाया जाता है। ये दिन बहुत ही खास होता है। अष्टमी के दिन सभी लोग मां दुर्गा को पुष्प अर्पित करते है। और ऐसा एक व्यक्ति न हो जो ये न करे, चाहे वो कितना भी व्यस्त हो।
कन्या पूजा
कन्या पूजा दुर्गा पूजा उर्फ नवरात्रि का एक बहुत ही खास और विशेष पूजा है। इसके बिना दुर्गा पूजा संपन्न हो ही नही सकती। नवमी के दिन नौ कुंवारी कन्या और एक कुंवारे लड़के की पूजा की जाती है। ठीक वैसे ही जैसे हम नौ देवियों की पूजा करते है।
इन सभी कन्या के पैर धो कर उनकी पूजा कर, उन्हे भोजन कराते है और अंत में दक्षिणा के रूप में भेट दी जाती हैं। इन कन्याओं की उम्र 1 से 16 साल तक होती है।
संध्या की आरती
संध्या की आरती भी एक खास जगह बनाती है। इसे देखने लोग दूर दूर से आते है। कोलाकाता की संध्या आरती इतनी खूबसूरत और आकर्षक होती है की यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। बंगाल की औरतें इस दिन पूरे श्रृंगार से खुद को खूबसूरत बनाती है जो इस पूजा को और भी भव्य बनाता है।
संगीत, ढोल, नगाड़े, संख, गंटियो और नाच गाने के बीच इस रस्म को पूरा किया जाता है। संध्या आरती नवरात्रि के नौ दिनों तक होता है।
सिंदूर खेला
दशमी के दिन घर और आस पास की सारी विवाहित स्त्रीयां सिंदूर खेला खेलती है। इसमें सारी विवाहित स्त्रीयां एक दूसरे को सिंदूर लगाती है और रंग लगती है। और यही सिंदूर खेला के साथ अंत होता है दुर्गा पूजा की। Durga Puja 2022 की तैयारी महीनो पहले हो जाती है।
एक मान्यता यह भी है की जब मां दुर्गा की मूर्ति बनाई जाती है तो उसमे तवायफ के कोठे से मिट्टी लाई जाती है और उसे मिला कर ही उस मूर्ति को बनाया जाता है। उस मिट्टी के बिना मां दुर्गा की मूर्ति नही बनाई जा सकती।
FAQs
Q. 2022 का दुर्गा पूजा दशमी कब है?
Ans. 5 अक्टूबर
Q. दुर्गा नवमी कब है 2022?
Ans. 4 अक्टूबर
Q. दुर्गा पूजा का पहला पूजा कब है?
Ans. 26 सितंबर, दिन सोमवार को दुर्गा पूजा का पहला दिन है.
Q. सबसे पुरानी दुर्गा पूजा कौन सी है?
Ans. बरोवरी दुर्गा पूजा सबसे पुरानी दुर्गा पूजा है जो कोलकाता में 1909 में आयोजित हुई थी.
Q. दुर्गा माता कौन थी?
Ans. दुर्गा माता को शिव की अर्धांगिनी उर्फ आदिशक्ति माना गया है। माता दुर्गा शिव का ही रूप है।
अंतिम कुछ शब्द:
Durga Puja अपने आप में शक्ति का प्रतीक है और बुराई पर अच्छाई की जीत। भारत में, खास कर कोलकाता में दुर्गा पूजा फेस्टिवल को पूरे हुल्लास से मनाया जाता है। सिंदूर की होली कोलकाता वासियों को एक अनोखा अनुभव दे जाता है।
आप अपनी दुर्गा पूजा फेस्टिवल 2022 कैसे मनाने वाले है, ये हमे कॉमेंट बॉक्स में बताएं। मेरी तरफ से आप सभी रीडर्स को एडवांस में Happy Durga Puja 2022.
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