होलिका दहन 2022 की कहानी | होलिका दहन क्यों मनाया जाता है

होलिका दहन 2022 date, शुभ मुहूर्त, क्यों मनाया जाता है? होलिका की कहानी

होलिका दहन 2022 का शुभ मुहूर्त कितने बजे है, कब है, क्यों मनाया जाता है, कब से शुरू हुआ होलिका दहन का पर्व। ये सब जानना है तो बिल्कुल सही जगह पर आए है। आज मैं होलिका दहन और उसकी हिस्ट्री के बारे में बात करने वाली हूं। मार्च का महीना शुरू हो गया है। और ऐसे में होली और होलिका दहन को लेकर सवाल उठना तो लाजमी है।

हिंदू धर्म में कोई भी पर्व हो बड़े धूमधाम और हुल्लास के साथ मनाया जाता है। छोटी सी छोटी पर्व भी सबको भाता है। इसकी खुशी और आनंद में हर कोई बस समा जाना चाहता है। होली से पहले होलिका दहन की तैयारी होती है। लेकिन, कई लोग यही नहीं जानते की होलिका दहन क्यों मनाया जाता है और कब से मनाया जाता है। इसका शुभ मुहूर्त कब है इस साल 2022 में। क्या दिल्ली, यूपी में अलग अलग मुहूर्त होता है ये सवाल भी लोगो के मन में उत्पन्न होता है। आइए जानते हैं होलिका दहन के बारे में।

 

होलिका दहन कब है 2022 , (Holika Dahan Date )

वैसे तो मार्च का महीना शुरू होते ही लोगो को होली याद आ जाती है। पर आपको पता होना चाहिए हिंदी तिथि और पंचांग के अनुसार हिंदी महीना फाल्गुन का जब तक नही आता तब तक होली या होलिका नही मनाया जा सकता। साल 2022 की खासियत यह है की इस बार मिथिला और वाराणसी पंचांग के जानकार कहते है की फाल्गुन में पड़ने वाले पर्व त्योहार में एकमत है।

आचार्य माधव जी का कहना है की इस बार होलिका दहन 17 मार्च को मनाई जाएगी। वही वाराणसी पंचांग के जानकार पंडित प्रेमसागर पांडे जी का कहना है की 17 मार्च को रात 12:57 पर होलिका दहन का योग बन रहा है। इससे पहले भाद्र मास है जिसमे होलिका दहन नही मनाया जा सकता। और वो भी धरती पर तो ये तो मुमकिन ही नही।

 

होलिका दहन शुभ मुहूर्त ( Holika Dahan time, Muhurat 2022)

वैसे कई लोग का कहना है की होलिका  दहन का शुभ मुहूर्त रात 9:06 से लेकर 10:16 तक है। होलिका दहन का मतलब है राक्षस होलिका का अलाव पर जलाने वाला शुभ समय। होलिका दहन में घर से कुछ अनुष्ठान, घर में बनी पकौड़ी, खाने को भी साथ में जलाया जाता है ताकि घर से बुरी बला भी चली जाए।

फिर 18 मार्च को 12:53 तक पूर्णिमा स्नान करना है। पूर्णिमा स्नान का महत्व है इसीलिए 17 मार्च के बाद 18 को स्नान करना जरूरी होता है। 18 को राष्ट्रिय सार्वजनिक अवकास के रूप में आनंद देते है।

 

होलिका दहन शुभ मुहूर्त इन दिल्ली, यूपी( Holika Dahan 2022 date and time in Delhi, U.P)

श्री कृष्ण भगवान और उनकी प्रिय राधा की नगरी उत्तर प्रदेश (U.P) की ब्रज क्षेत्र ( वृंदावन, मथुरा, बरसाना, नंदगाँव, गोवर्धन और गोकुल) ये सारी जगह एक सप्ताह पहले से ही (कुल 9दिन) होली मनाता है। इस बार 2022 में 11 मार्च से 19 मार्च तक मनाया जाएगा।

होलाष्टक 10 से 18 मार्च तक मनाया जाता है। इसको होली के 8 दिन पहले के दिन बताए जाते है। इस समय कोई भी शुभ कार्य नही किए जाते। ये समय अशुभ माना जाता है। सोना चांदी खरीदना, प्रॉपर्टी की खरीदारी ना करे।

 

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2022 के लिए उत्तर प्रदेश (वृंदावन, बरसाना और मथुरा) में होली के लिए 9-दिवसीय कार्यक्रम

हर दिन अलग अलग कारणों की वजह से मनाई जाती है होली और वो नीचे दी गई है:-

 

  • 1 दिन (11 मार्च) : बरसास में लड्डू होली (मीठी होली)
  • 2 वां दिन (12 मार्च) : बरसाना में लट्ठमार होली (छड़ी होली)
  • 3 वां दिन (13 मार्च) : नंदगांव में लट्ठमार होली
  • 4 वां दिन (14 मार्च) : वृंदावन और मथुरा में फूलों से खेली जाने वाली होली
  • 5 वांदिन (15 मार्च) : गोकुली में छडी मार होली (‘वंड बीटिंग’ होली)
  • 6 वां दिन (16 मार्च) : वृंदावन में विधवा औरतों की होली
  • 7 वां दिन 7(17 मार्च) : मथुरा में होलिका दहन (पुतला दहन)
  • 8 वां दिन (18 मार्च) : मथुरा में होली (रंगों की लड़ाई के साथ मुख्य दिन)
  • 9 वां दिन (मार्च 19th) : हुरंगा ( एंडिंग)

 

होलिका दहन क्यों मनाया जाता है

इतिहास गवाह है की जब जब धरती पर बुराई ने हावी होने का प्रयास किया है तब तब अच्छाई ने एक नया इतिहास रचा है। होलिका दहन की कहानी भी बुराई पर अच्छाई की जीत का एक और उदाहरण है।

 

पौराणिक काल में एक क्रूर राजा था। जिसका नाम “हिरणकश्यप” था। उसने घोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान ले लिया की उसे इस दुनिया में कोई न मार सके, ना घर में, ना बाहर, ना कोई भगवान, ना कोई राक्षस कोई भी नही। इस वरदान से वो और बलशाली बन गया। उसे मौत का कोई डर नहीं था।

 

वो चाहता था की उसे हर कोई भगवान विष्णु की तरह पूजे। बल्कि हर कोई बस उसे ही पूजे। जब यही आदेश उसने अपने बेटे “प्रहलाद” को दिए तो उस छोटे से बालक ने ये मानने से इंकार कर दिया। क्योंकि वो भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। दिन भर उन्ही की पूजा किया करता था।

होलिका दहन image
Holika Dahan/ storyobsession.com

 

ये बात हिरणकश्यप को रास नहीं आई। उसने अपनी बहन “होलिका” के साथ मिल कर एक प्लान बनाया की होलिका उसे अपनी गोद में लेकर बैठ जाएगी। क्योंकि होलिका के पास एक ऐसा कपड़ा था जिसे अगर वो ओढ़ ले तो उसका शरीर और वो नही जलेगी। इसी बात का फायदा उठा कर वो प्रहलाद को अपने गोद में लेकर आग की लपटी में बैठ गई।

 

लेकिन ये सब भगवान विष्णु को बहुत अच्छे से पता थी। उन्होंने अपनी कृपा दिखाई और वो कपड़ा जो होलिका ओढ़ रखी थी वो प्रहलाद पर जाकर गिर गई। इस तरह प्रहलाद बच गया और होलिका जल कर खाख हो गई। और इसी तरह बुराई पर अच्छाई की जीत हो गई।

 

वो महीना हिंदी कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन का था और पूर्णिमा की रात थी अगली सुबह इसलिए हर साल उसी फाल्गुन मास में मनाया जाने लगा। जितने भी घर से बुराई, घमंड, और घृणा थी वो सब जल कर भस्म हो जाए इसलिए लोग भी बड़ी आस्था से इस पर्व को मानते है।

 

अंतिम कुछ बाते

दोस्तो, आपको हमारी आज की ये पेशकश Holika 2022: होलिका दहन की कहानी। इस दिन के साथ होगी होली की शुरुआत, होलीकाष्ट,जाने शुभ मुहूर्त, कैसी लगी। हमे कमेंट करके जरूर बताएं। अगर कुछ कहना हो या कोई सवाल हो तो कमेंट में बताए। अपने दोस्तो के साथ शेयर करे।

 

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