The Compound Effect Book Summary in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आप सभी का storyobsession ब्लॉग पर स्वागत है। दोस्तों क्या आप अपनी जिंदगी से परेशान हो चुके हैं? और क्या आपको अपनी लाइफ में सफलता नहीं मिल रही है? और आप ऐसी किताब की तलाश में है? जो आपकी जिंदगी बदल दे? तो आप सही किताब कि बुक समरी पढ़ने जा रहे हैं।
क्योंकि दोस्तो आज में आपके साथ जिस किताब की हिंदी समरी शेयर करने वाला हू, उस किताब मे बताए गए बातो को फॉलो करके बिल गेट्स और स्टीव जॉब्स जैसे लोग सफल और कामयाब हो चुके हैं।
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The Compound Effect Book Summary in Hindi
दोस्तो दरअसल हम आज आपके साथ अमेरिकन लेखक Darren Hardy जी द्वारा लिखी हुई सबसे फेमस किताब “The Compound Effect Book” summary in Hindi आपके साथ शेयर करने वाले हैं।
दोस्तो आपका सपना, इच्छा और जीवन का लक्ष्य चाहे जो भी हो, उसे हासिल करने की योजना इस किताब में बताई गई हुई है। जिसे अब में आपके साथ इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से शेयर करने वाला हू। तो चलिए बुक समरी की शुरूआत करते हैं।
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Compound Effect क्या है और लेखक की सफलता की कहानी।
दोस्तो आप सभी ने कछुए और खरगोश की कहानी तो सुनी ही होंगी जिसमे तेज तर्रार वाला खरगोश एक सुस्त कछुवे से रेस लगता है और रेस शुरू होती है। और खुद को जीत का दावेदार घोषित करके खरगोश रिलैक्स होकर एक पेड़ के नीचे सो जाता है।
जब तक खरगोश अपने नींद से उठता है, तब तक वो सुस्त कछुआ फिनिशिंग लाइन को पार करके रेस जीत जाता है। दोस्तो शायद इसी कहानी के वजह से ही “धीमा और निरंतर दौड़ जीत जाता है” इस कहावत का जन्म हुआ था।
दोस्तो पर क्या ये कहावत वाकई में सफलता के लिए कारगर है? क्या आज भी भागदौड़ के इस दौर में धीमा और निरंतर होकर जिंदगी की गाड़ी जीती जा सकती है? और इसका सही उत्तर इस किताब के लेखक Darren Hardy जी ने दिया हुआ है।
लेखक Darren Hardy जी अपनी तुलना उसी सुस्त कछुए से करते हुए कहते है की “आप मुझे जिंदगी की किसी भी रेस में उतारो और किसी के भी सामने उतार दो, बस उस रेस में तैयार होने के लिए मुझे कुछ वक्त की मोहलत दे दो और यकीनन में उस रेस में किसी भी धुरंधर व्यक्ति को हरा दूंगा।
इस बात को लेखक आत्मविशास में आकर या अपने घमंड में चूर होकर नही बोलते हैं, बल्कि इस the compound effect book Summary के लेखक को Compound Effect के उस ऐक्शन पर भरोसा है, जिसे निरंतरता कहते हैं। दोस्तो कंपाउंड इफेक्ट छोटी और स्मार्ट चॉइसेस के नतीजो का प्रोसेस है। जिसे हम आम भाषा में निरंतरता कहते हैं।
लेखक Darren Hardy जी खुद को निरंतरता का सबसे बड़ा believer मानते हैं। और वो अपनी सफलता का क्रेडिट निरंतरता को ही देते हैं। दोस्तो अगर आप किसी भी काम को सही डायरेक्शन में करे और उसके साथ ही उस काम को लगातार करते रहे, तो यकीनन उस काम में आपको सफलता जरूर मिलेगी।
लेखक सफलता के लिए ज्यादातर पुराने विचारों पर ही जोर देते हैं। उनका मानना है की जमाना कितना ही क्यों न आगे चला जाए, लेकिन बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए जो एक्शन और प्रोसेस है, वो हमेशा ही same ही रहेगा।
ऐसा वो कई सफल और कामयाब लोगो के लाइफ स्टाइल पर रिसर्च करने के बाद कहते हैं। और उसके साथ खुद के और अपने पिता के अनुभव से कंफर्म करते हैं। दोस्तो अपने जीवन में कंपाउंड इफेक्ट पाने के लिए लेखक अपने पिता का धन्यवाद देते हुए कहते हैं की 👇👇👇
मेरे पिता के द्वारा दी गई सीख मुझे आज तक काम आती है। मेरे पिता का मानना था की “इससे कोई फर्क नही पड़ता की आप कितने स्मार्ट है या नही, आपको अगर बड़ी सफलता हासिल करनी है? तो आपको कड़ी मेहनत करनी होंगी.”
यदि आपका कंपेटीटर आपसे ज्यादा बुद्धिमान, तेज तर्रार और एक्टिव हैं, और हर फील्ड में आपसे आगे है? तो इसमें उससे आगे जाने के लिए आपको उससे 3 से 4 गुना मेहनत करनी होगी। लेखक आगे कहते हैं की क्योंकि मेरे पिता एक फुटबाल के कोच थे, जिसके वजह से उनके अंदर discipline कूट कूट के भरा हुआ था।
वे हर दिन लगातार बिना थके और बिना रुके कसरत करते रहते थे। बाहर के लोग अपनी घड़ी मेरे पिता के हिसाब से सेट करते थे। मेरे पिता ने मेरे अंदर अनुशासन डालने के लिए मुझसे घर के छोटे मोटे काम करवाते थे। जैसे की झाड़ू लगाना, बर्तन साफ करना आदि… उनका साफ कहना था की 👇👇👇
“मुझे किसी भी काम को करने का एक्सक्यूज मत दो और मेरे पिता खुद को एक No Excuse Guy कहते थे। उनका मानना था की अगर आपने एक्सक्यूज देना शुरू कर दिया तो आप हर काम के लिए एक्सक्यूज ढूंढेगे। और उसका नतीजा यह होंगा की आप एक्सक्यूज देने में consistent हो जायेगे।
यदि football खेलते हुए यदि में कभी गलती से किक मिस कर जाता तो, मेरे पिताजी मुझसे 1000 बार किक मारने की प्रैक्टिस करवाते थे। और वो मानते थे की “No Pain No Gain” और घर के हर कोने में इसी quote का स्टीकर लगा हुआ था। वो मुझसे जबदस्त मेहनत करवाते थे,।
और उसी लगातार और जबरदस्त मेहनत का नतीजा यह हुआ की मैने 18 साल की उमर में ही मेरी कमाई 6 फिगर हुई और 20 साल की उमर में मैने अपना खुद का घर ले लिया और 24 साल की उमर में 1 मिलियन डॉलर की कमाई कर ली और 27 साल की उमर में सेल्फ मेड मिलियनर बन गया।
दोस्तो किसी भी चीज को अगर आप लगातार consistently करते जायेंगे तो वो आपकी आदत बन जायेगी, चाहे वो बुरी चीज भी क्यों न हो. उसके साथ ही लेखक कहते हैं की मेहनत का कोई रिप्लेसमेंट नही है और मेहनत के बुनियाद पर ही सफलता के महल बनवाया जाते हैं।
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मेहनत कैसे की जाए by The Compound Effect Book Summary in Hindi?
लेखक कहते हैं की हमे हर काम को छोटे छोटे कदमों से शुरू करना चाहिए। यानी की हमे अपने मैन goal को अचिव करने से पहले उसके लिए छोटे छोटे टारगेट बनाने चाहिए। जब आप लगातार छोटी छोटी चीजों की आदत डालते हैं, तो आप देखेंगे कि बड़ी चीजे अपने आप हो रहे हैं।
दोस्तो छोटी छोटी चीजों के माध्यम से बड़ी चीजों के एक्शन या प्रोसेस को ही कंपाउंड इफेक्ट कहते हैं। दोस्तो कंपाउंड इफेक्ट कैसे काम करता है? और उसे अपने जीवन में अमल करके सफलता कैसे प्राप्त करें? यह में आपको एक कहानी के द्वारा समझाने की कोशिश करता हूं।
दोस्तो अगर आप इस the compound effect book Summary और review को अंत तक ध्यान से पढ़ते हैं, तो आपको सीखने को मिलेगा की कामयाबी हासिल करने केलिए अच्छी आदतें क्यों बनाना जरूरी है। और किस तरह से अच्छी आदतें बनाकर और हर दिन सिर्फ थोड़ा थोड़ा सीखकर सक्सेस को कैसे हासिल कर सकते हैं।
दोस्तो अमित और सुमित दोनो एक दूसरे के दोस्त थे। और दोनो ने भी साथ में ही एक ही स्कूल और कॉलेज से पढ़ाई खत्म की। उसके बाद दोनो को भी एक बड़ी कंपनी में जॉब मिल गया। दोनो की भी सैलरी लगभग एक जैसे ही थी।
दोनो को भी अपनी जिन्दगी में आगे बढ़कर समय के साथ चलना था। लेकिन इन दोनो में अमित को अपने जीवन में छोटे छोटे चेंजेस करने के महत्व को बहुत ही अच्छी तरह से समझता था। इसीलिए अमित ने अपने जीवन में बहुत ही छोटे छोटे और बेहद मामूली से नजर आने वाले बदलाव किए।
अमित रोज सुबह एक किताब के 10 pages पढ़ता था और ऑफिस जाते समय अपनी कार में फिल्मों के गाने सुनने के बजाय Self Help Books की ऑडियोबुक सुनता था। और वो हर रोज 2 km पैदल चलता था और उसके साथ ही उसने अपनी रोज की डायट से सिर्फ 125 कैलरिज को कम कर दिया था।
उसके साथी ही उसने बाहर का खाना खाना बिलकुल ही बंद कर दिया था, जैसे की पिज्जा बर्गर और चाइनीज जैसे जंक फूड आदि… और उसने अपने जॉब में हर दिन एक क्लाइंड्स को कॉल करने के बजाय दो क्लाइंट्स को कॉल करने लगा।
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लेकिन उसका दोस्त सुमित ठीक इसका उल्टा करता था। यानी की वो हर दिन सुबह अच्छी अच्छी सेल्फ हेल्प किताबो को पढ़ने के बजाय न्यूज पेपर पढ़ता था। और काम पर जाते समय ऑडियोबुक सुनने के बजाय फिल्मों के गाने सुनता था, जो उसे बहुत पसंद थे।
वो हर रोज ऑफिस से घर आते समय जंक फूड खाता रहता था और घर पर खाना खाते समय जरा ज्यादा ही खाना खाता था। और पानी की जगह पर सॉफ्ट ड्रिंक्स पिता था। वो अपने अंदर के आलस के वजह से कभी भी व्यायाम नही करता था।
सुमित को अपनी लाइफ में छोटे छोटे बदलाव करने के महत्व के बारे में बिल्कुल भी कुछ पता नहीं था। उसके साथी ही वो अपने ऑफिस के काम में एक भी एक्स्ट्रा कॉल नही करता था। दोस्तो सुमित अपनी जिंदगी में कोई भी बदलाव किए बिना ही अपनी जिंदगी को इसी तरह से जीता रहा।
दोस्तो हाला की अब अमित अपनी नई नई अच्छी आदतों के साथ अपनी लाइफ को जीते हुए धीरे धीरे 8 से 10 महीने बीत गए। लेकिन इन 8 से 10 महीनों में अमित के अंदर ऐसा कोई भी बदलाव नजर नहीं आया था, जो उसे उसके मित्र सुमित से बहुत ही ज्यादा बेहतर बनाता हो।
यानी की दोस्तो इन 8 से 10 महीने बीतने पर भी अमित और सुमित इन दोनों की जिंदगी एक जैसे ही थी। और ऐसे ही धीरे धीरे करके 15 और 20 महीनों का समय बीत गया। लेकिन फिर भी इन दोनो दोस्तो के बिच में कुछ बड़े बदलाव नहीं दिख रहे थे।
सुमित अपनी लाइफ को कोई भी छोटे मोठे बदलाव किए बना ही बड़े मजे से जी रहा था और दुसरी तरफ बीच बीच में कई बार तो कोई अच्छे रिजल्ट्स को ना देखकर अमित का मोटिवेशन कम होता था। और वो मन ही मन सोचता था की 👇👇👇
सुमित तो अपनी जिंदगी मज्जे से जी रहा और में इतनी इतनी अच्छी आदतों को फॉलो करता हु फिर भी में अपनी लाइफ में कुछ अच्छी तरक्की नहीं कर पा रहा हूं। लेकिन इसके बावजूद भी अमित ने हार नहीं मानी और अपने इस डैली रूटीन को ऐसे ही फॉलो करता रहा।
लेकिन अब अमित को इन छोटी छोटी अच्छी आदतों को फॉलो करते हुए मज्जा आने लगा था, यानी की अब उसको उसकी आदत पड़ चुकी थीं। अब इन दोनों दोस्तो कि लाइफ इसी तरह चलती रही और देखते देखते ही 31 महीने बीत गए।
लेकिन अब इन दोनो दोस्तो के बीच में बहुत ही बड़ा बदलाव नजर आ रहा था, यानी की सुमीत अब मोटा हो चुका है, जब कि अमित छरहरा हो गया था। हर दिन 125 कैलोरियाँ कम करने की बदौलत 31 महीने में अमित का वज़न 33 पौंड कम हो गया था।
31 महीने = 940 दिन
940 दिन x 125 कैलोरी/ दिन=117,500=कैलोरी
117,500 कैलोरी/ 3500 कैलोरी प्रति पौंड 33.5 पौंड !
सुमित ने 31 महीनो में हर दिन सिर्फ़ 125 कैलोरी ज़्यादा खाईं, जिससे उसका वज़न 33.5 पौंड बढ़ गया था। यानी अब उसका वज़न अमित से 67 पौंड ज़्यादा हो चुका था। उससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है की.
अमित ने अच्छी पुस्तकें पढ़ने और ऑडियोबुक सुनने में लगभग एक हज़ार घंटों का निवेश किया हुआ था। अपने इस अतिरिक्त ज्ञान पर अमल करने से और हर रोज एक एक्स्ट्रा कॉल करने के वजह से उसे उसकी जॉब में प्रमोशन मिल गया था।
वही पर उसके दोस्त सुमित ने अपने जीवन में कोई भी छोटे छोटे बदलाव नहीं किए हुए थे, और साथ ही वो हर जंक फूड खाता रहता था और व्यायाम न करने के वजह से उसका Weight काफी बढ़ गया था।
दोस्तो यहां तक की सुमित के मोटापे का असर उसके दिल पर भी होने लगा था और उसके जॉब में उसने एक भी एक्स्ट्रा कॉल नही किया था, जिसके वजह से सुमित को उसकी जॉब में प्रमोशन भी नहीं मिला था और नाही उसकी इनकम बढ़ी हुई थी, बल्कि उसकी इनकम पहले से और कम हो गई।
दोस्तो अमित और सुमित की इस कहानी से सीखने को मिलता है की, अगर कोई इंसान अपने जीवन में सिर्फ छोटे छोटे चेंजेस भी करले, तो भी long Term में इन चेंजेस का काफी बड़ा फायदा मिलता है। दोस्तो ज्यादा तर मामलो में लोगो की लाइफ ही पूरी तरह से चेंज हो जाती हैं।
इसीलिए दोस्तो अगर आपको लाइफ सफल और कामयाब व्यक्ति बनना है? तो आपको बस छोटे छोटे क़दम उठाने हैं और लंबे समय तक निरंतर उठाने हैं? जैसे की सुबह जल्दी उठना, किताबे पढ़ना, व्यायाम करना इत्यादि…
दोस्तो कंपाउंड इफेक्ट की ज़बर्दस्त शक्ति इतनी ही सरल है। जो लोग कंपाउंड इफेक्ट के सिद्धांत का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए करते हैं और उनके जो समक्ष ऐसा नहीं करते या जो इसका इस्तेमाल अपने ख़िलाफ़ करते हैं, उन लोगों के बिच में इतना ज़्यादा फ़र्क़ होता है कि उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
जो व्यक्ति कंपाउंड इफेक्ट के सिद्धांत की सकारात्मक प्रकृति का इस्तेमाल करता है, वह 31 महीने बाद रातोंरात सफल नज़र आता है। वास्तव में उसकी सफलता उन छोटे छोटे और स्मार्ट चयनों का परिणाम थी, जिन्हें उसने लंबे समय तक निरंतर किया था।
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दोस्तो अगर आप बड़ी सफलता प्राप्त करना चाहते हैं? तो आप इस किताब को पूरा पढ़िए। दोस्तो किताब पीडीएफ फ्री डाऊनलोड करने की लिंक नीचे दी हुई है।
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अंतिम कुछ शब्द:
दोस्तो आज के इस The Compound Effect Book Summary in Hindi, The Compound Effect Book in hindi आर्टिकल में सिर्फ इतना ही दोस्तो फिर मिलेंगे ऐसे ही एक मोटीवेशनल और सेल्फ हेल्प आर्टिकल के साथ तब तक के लिए आप जहा भी रहिए खुश रहिए और खुशियां बांटते रहिए।
इस किताब को पढ़ने के बाद अपनी जिंदगी में क्या क्या बदलाव आए और आपने क्या अपनाया हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको यह पसंद आई है तो इसे Like और अपने दोस्तो के साथ Share करना ना भूलें ताकि उन्हें भी इसकी जानकारी मिले।
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